लंबित मांगों को लेकर 10 नवंबर से अनिश्चितकालीन कार्यबंदी की चेतावनी

स्वराज इंडिया ब्यूरो लखनऊ।
प्रदेश की निकाय व्यवस्था गुरुवार को मानो लखनऊ में उतर आई। उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर आयोजित विशाल धरना-प्रदर्शन में प्रदेशभर के नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के हजारों कर्मचारी राजधानी की सड़कों पर उतर आए। कर्मचारी सरकार की “कर्मचारी विरोधी नीतियों” के खिलाफ जीपीओ पार्क गांधी प्रतिमा पर जुटे और मुख्यमंत्री एवं नगर विकास मंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से सौंपा।
इस दौरान कर्मचारियों ने ऐलान किया कि यदि 9 नवम्बर 2025 तक उनकी लंबित मांगों पर आदेश जारी नहीं होते, तो 10 नवम्बर से प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन कार्यबंदी शुरू की जाएगी। साथ ही आगामी एक माह तक सभी निकायों में काली पट्टी बांधकर विरोध, क्रमिक अनशन, गेट मीटिंग और धरना-प्रदर्शन का सिलसिला जारी रहेगा।
सभा में प्रदेश के कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, फिरोजाबाद, गोरखपुर, बरेली, शाहजहांपुर, वाराणसी, सहारनपुर, अलीगढ़, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन सहित सैकड़ों नगर निकायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सफाई कर्मचारी, जलकल कर्मचारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और नियमित व आउटसोर्सिंग कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र और महामंत्री रमाकांत मिश्र ने कहा कि प्रदेश सरकार निकाय कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार टालमटोल कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि “अकेंद्रीकृत सेवा नियमावली”, “वर्ष 2001 तक कार्यरत दैनिक वेतनभोगी, संविदा और तदर्थ कर्मचारियों के विनियमतीकरण” जैसी प्रमुख मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो कर्मचारी आंदोलन को और तेज करेंगे।
सभा को महासंघ के कई वरिष्ठ नेताओं — राकेश अग्निहोत्री (कानपुर-गाजियाबाद), विनोद इलाहाबादी (आगरा), आर.पी. सिंह (गोरखपुर), छकोड़ी लाल (फिरोजाबाद), मो. अनीस (मेरठ), संजय सक्सेना (अलीगढ़), मो. सुभहान (मुरादाबाद), ठाकुर मिशनपाल सिंह (बरेली), अखिलेश सिंह (वाराणसी), धमेन्द्र कश्यप (शाहजहांपुर), रामकुमार (सहारनपुर), मो. परवेज खान (झांसी), मनोज श्रीवास्तव (प्रयागराज), विनय बाघमार (अयोध्या) और उत्तम चन्द्र (मथुरा-वृंदावन) ने संबोधित किया।
इस आंदोलन को कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा, जवाहर भवन-इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ, उ.प्र. राज्य कर्मचारी महासंघ, राज्य निगम कर्मचारी महासंघ, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और रोडवेज कर्मचारी संघ सहित तमाम संगठनों का समर्थन मिला। इन संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों वी.पी. मिश्र, सतीश पांडेय, गिरीश मिश्र, घनश्याम यादव और अतुल मिश्र ने भी मंच से आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की।
लखनऊ नगर निगम के सैकड़ों कर्मचारी— कैसर रजा, रामकुमार रावत, शैलेन्द्र तिवारी, नितिन त्रिवेदी, आकाश गुप्ता, रूपेश पिंटू, नीबू लाल, सूरजभान सिंह, दीपक शर्मा, रेहान, जितेंद्र सिद्धार्थ, राजेन्द्र यादव, तूफानी, कुंवर जय सिंह, मो. हनीफ और अनिल दुबे सहित—धरना स्थल पर मौजूद रहे।
धरने के दौरान नगर निगम लखनऊ मुख्यालय और सभी जोन कार्यालय पूरी तरह बंद रहे।
कर्मचारियों का यह प्रदर्शन प्रदेश सरकार को चेतावनी देने के साथ-साथ यह संदेश भी दे गया कि यदि मांगे समय पर नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में निकाय सेवाएं ठप हो सकती हैं।


