
श्रद्धा और भक्ति से किया गया व्रत देता है सुख, समृद्धि और ज्ञान
धर्म अध्यात्म डेस्क स्वराज स्वराज इंडिया
हिंदू पंचांग के अनुसार सप्ताह का पाँचवाँ दिन गुरुवार धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। यह दिन भगवान श्री विष्णु जी और देवगुरु बृहस्पति देव को समर्पित होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा, विश्वास और नियमपूर्वक इस दिन व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके जीवन में ज्ञान, धन, यश और सुख-शांति का वास होता है।
गुरुवार का व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह जीवन में स्थिरता, सुख और समृद्धि लाने का माध्यम भी है। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक यह व्रत करता है, उसके जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
गुरुवार का क्यों है महत्व
ग्रहों में बृहस्पति को ‘देवताओं का गुरु’ कहा गया है। वे ज्ञान, धर्म, सदाचार और संपन्नता के अधिष्ठाता हैं। गुरुवार को व्रत रखने से व्यक्ति को बुद्धिमानी, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है। चूँकि यह दिन भगवान विष्णु का भी माना गया है, अतः इस दिन विष्णु-लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है।
पूजा विधि और व्रत नियम
गुरुवार के दिन स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें, पूजा स्थान को स्वच्छ कर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। पूजा में पीले फूल, हल्दी, चने की दाल और तुलसी पत्र का प्रयोग करें।
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नारायणाय नमः” मंत्र का जप शुभ माना जाता है।
बृहस्पति देव की आराधना करते हुए “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करें और केले के पेड़ की पूजा कर जल अर्पित करें।

भोजन क्या और कैसे करें
इस दिन नमक रहित भोजन या फलाहार करने की परंपरा है। पीले रंग के भोजन — जैसे खिचड़ी, बेसन, चना दाल, या केले — का सेवन और दान विशेष फलदायी माना गया है।
गुरुवार व्रत कथा का संदेश
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मणी ने छलवश व्रत तोड़ दिया, जिससे उसके घर की सुख-समृद्धि समाप्त हो गई। पश्चाताप कर पुनः श्रद्धा से व्रत करने पर बृहस्पति देव प्रसन्न हुए और उसके जीवन में फिर से सुख-शांति लौट आई। यह कथा सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा से की गई पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती।
क्या करें और क्या न करें
✔ पीले वस्त्र पहनें, केले के पेड़ की पूजा करें।
✔ गरीबों को पीले भोजन का दान करें।
✔ “विष्णु सहस्रनाम” या “गुरु स्तोत्र” का पाठ करें।
बाल या दाढ़ी न कटवाएँ, कपड़े या बर्तन न धोएँ, और झूठ व विवाद से बचें।
- घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
- विवाह व शिक्षा संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं।
- नौकरी-व्यवसाय में उन्नति और स्थिरता मिलती है।
- बृहस्पति ग्रह से संबंधित दोष समाप्त होते हैं।
महामंत्र पढ़िए
भगवान विष्णु मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
बृहस्पति देव मंत्र: ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
गुरु गायत्री मंत्र:
ॐ बृहस्पतये विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि।
तन्नो गुरु: प्रचोदयात्॥


