
एक परंपरा ऐसी भी… नेपाल की जीवित देवी ‘कुमारी’
धर्म अध्यात्म डेस्क स्वराज इंडिया
नेपाल, वह देश जहाँ हिमालय की गोद में आस्था और परंपराएँ एक-दूसरे से जुड़ी हैं। यही वह भूमि है जहाँ आज भी देवी का साक्षात रूप जीवित माना जाता है। इन्हें ‘कुमारी देवी’ कहा जाता है। सदियों पुरानी इस अनोखी परंपरा में छोटी-सी बच्ची को जीवित देवी का दर्जा दिया जाता है। माना जाता है कि कुमारी में देवी तालेजू या माँ दुर्गा का वास होता है। नेपाल की जनता उन्हें साक्षात काली का स्वरूप मानकर पूजा-अर्चना करती है।
नेपाल में यह मान्यता है कि कुमारी देवी अपने भक्तों को आपदाओं से बचाती हैं। इसका उदाहरण 2015 का भीषण भूकंप है, जब चारों ओर तबाही मची थी, लेकिन कुमारी देवी का मंदिर सुरक्षित रहा। इसे भक्त आज भी चमत्कार मानते हैं।—
चयन की कठिन प्रक्रिया कुमारी बनने का सफर आसान नहीं होता…
कुमारी हमेशा शाक्य या वज्राचार्य जाति की बच्चियों में से चुनी जाती है।चयन के समय बच्ची को 32 विशेष लक्षणों पर परखा जाता है। इसमें शंख जैसी गर्दन, गाय जैसी पलकें, हिरणी जैसी जांघें, शेर जैसी छाती और बत्तख जैसी मधुर आवाज़ जैसे गुण शामिल हैं।इसके अलावा बच्ची की जन्मकुंडली और ग्रह-स्थिति भी देखी जाती है।सबसे कठिन परीक्षा तब होती है जब बच्ची को अंधेरे कमरे में ले जाकर उसके सामने भैंसे का कटा हुआ सिर रखा जाता है और दानवों का वेश धरे पुरुष नाचते हैं। जो बच्ची इस भयावह दृश्य से विचलित नहीं होती, वही आगे जीवित देवी बनती है।—कुमारी का जीवनकुमारी का जीवन आम बच्चों जैसा नहीं होता।3 साल की उम्र से ही वह अपने परिवार से अलग हो जाती है।कुमारी घर में उसका राजसी तरीके से पालन-पोषण होता है।वह घर से बाहर केवल विशेष अवसरों पर निकलती है और तब भी उसके कदम ज़मीन पर नहीं पड़ते, उसे डोली में ले जाया जाता है।कुमारी देवी जब तक मासिक धर्म की अवस्था तक नहीं पहुँचतीं, तब तक देवी का दर्जा बनाए रखती हैं। इसके बाद किसी दूसरी कन्या का चयन होता है।पूर्व कुमारी देवियों को आजीवन पेंशन दी जाती है, ताकि उनका जीवन सुरक्षित रह सके।नेपाल में 11 जीवित देवियों की मान्यता है, लेकिन रॉयल कुमारी सबसे प्रमुख मानी जाती हैं। भक्त इन्हें राष्ट्र की रक्षक और आशीर्वाद दात्री मानते हैं। यह परंपरा नेपाल की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आज भी जीवित रखे हुए है।


