
स्वराज इंडिया ब्यूरो | न्यूज़ डेस्क
✍️BY: Shivank Agnihotri
रिलीज और विवाद
निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की बहुप्रतीक्षित और विवादित फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ शुक्रवार को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। फिल्म की रिलीज का इंतजार लंबे समय से किया जा रहा था क्योंकि इसका विषय संवेदनशील और राजनीतिक रूप से बेहद अहम है। हालांकि, पश्चिम बंगाल में यह फिल्म दर्शकों तक नहीं पहुँच पाई। राज्य के मल्टीप्लेक्स मालिकों ने अंतिम समय में स्क्रीनिंग से इनकार कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, थिएटर मालिकों पर स्थानीय राजनीतिक दबाव था और सुरक्षा की स्थिति को लेकर भी आशंकाएं जताई गईं। इस वजह से दर्शकों को निराशा हाथ लगी और सोशल मीडिया पर #ReleaseBengalFiles ट्रेंड करने लगा।
फिल्मकारों की अपील

फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने एक वीडियो जारी कर सीधे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि बंगाल में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है और फिल्मकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं मिल रही। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के लोग थिएटर मालिकों को धमका रहे हैं, जिसके चलते कोई भी मल्टीप्लेक्स फिल्म दिखाने को तैयार नहीं है। वहीं, फिल्म की निर्माता और अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को एक विस्तृत पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने अपील की कि फिल्म की रिलीज पर हो रहे राजनीतिक हस्तक्षेप को रोका जाए और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए। पल्लवी ने इसे व्यक्तिगत तौर पर बेहद भावनात्मक मामला बताया और कहा कि बंगाल के दर्शकों को सच जानने का हक है।
फिल्म की पृष्ठभूमि

‘द बंगाल फाइल्स’ का विषय भारतीय इतिहास के सबसे विवादित अध्यायों में से एक पर आधारित है। फिल्म 16 अगस्त 1946 को हुए प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस और उसके बाद फैली सांप्रदायिक हिंसा को केंद्र में रखती है। इतिहास में यह घटना ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स के नाम से दर्ज है, जिसमें हजारों लोग मारे गए और लाखों बेघर हो गए। फिल्म में विभाजन से पहले बंगाल की सामाजिक स्थिति, हिंदुओं के नरसंहार और राजनीतिक षड्यंत्रों को नाटकीय ढंग से पेश किया गया है। विवेक अग्निहोत्री का दावा है कि इस फिल्म के लिए उन्होंने वर्षों तक रिसर्च किया, पुराने दस्तावेज खंगाले और चश्मदीद गवाहों के बयान भी शामिल किए। यह फिल्म उनकी फाइल्स ट्राइलॉजी का आखिरी हिस्सा है, जिसमें पहले द ताशकंद फाइल्स और द कश्मीर फाइल्स आ चुकी हैं।
राजनीतिक घमासान

फिल्म की रिलीज के साथ ही राजनीतिक हलकों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों का कहना है कि यह फिल्म भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक साधन है। पूर्व मंत्री पूर्णेंदु बसु ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विवेक अग्निहोत्री ने बंगाल के इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया है ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंट रही है और सच्चाई छिपाना चाहती है। इसके अलावा, कोलकाता के बोबाजार थाने में गोपाल ‘पाठा’ मुखर्जी के पोते शांतनु मुखर्जी ने शिकायत दर्ज कराई कि फिल्म में उनके दादा का गलत चित्रण किया गया है। यह मामला भी विवाद को और गहरा कर रहा है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया

जहां एक ओर बंगाल में फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया गया है, वहीं देशभर के अन्य हिस्सों में दर्शकों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल और लखनऊ जैसे शहरों में पहले ही दिन कई शो हाउसफुल हो गए। दर्शकों का कहना है कि फिल्म ने इतिहास के उस अध्याय को सामने रखा है, जिसके बारे में बहुत कम जानकारी थी। वहीं, आलोचकों का मानना है कि फिल्म का प्रस्तुतीकरण राजनीतिक झुकाव से प्रभावित है और यह समाज में विभाजनकारी असर डाल सकता है। सोशल मीडिया पर भी फिल्म को लेकर गरमागरम बहस चल रही है। कुछ लोग इसे “सच्चाई का आईना” बता रहे हैं तो कुछ “राजनीतिक प्रोपेगैंडा” कह रहे हैं। कुल मिलाकर, यह फिल्म देशभर में चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन चुकी है।
मुख्य बिंदु
- ‘द बंगाल फाइल्स’ देशभर में रिलीज, लेकिन पश्चिम बंगाल में मल्टीप्लेक्सेस ने फिल्म दिखाने से इनकार किया।
- निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने ममता सरकार पर राजनीतिक दबाव डालने का आरोप लगाया।
- निर्माता पल्लवी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर फिल्म की रिलीज सुनिश्चित करने की अपील की।
- फिल्म 16 अगस्त 1946 के प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस और ग्रेट कलकत्ता किलिंग्स पर आधारित है।
- विपक्षी दलों का आरोप – फिल्म इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करती है और भाजपा–आरएसएस का एजेंडा आगे बढ़ाती है।
- गोपाल ‘पाठा’ मुखर्जी के परिवार ने कोलकाता पुलिस में फिल्म के गलत चित्रण को लेकर शिकायत दर्ज कराई।
- देशभर के अन्य हिस्सों में फिल्म को लेकर दर्शकों में उत्साह, कई जगह शो हाउसफुल।
- सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर बहस तेज – “सच दिखाने का साहस” बनाम “राजनीतिक प्रोपेगैंडा।”



