
ममता बनर्जी ने लगाया भाजपा पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच टकराव गहराता जा रहा है। ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को “राजनीतिक हथियार” बताते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा इसके जरिए अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर मुस्लिम वोटर्स को निशाना बना रही है।
तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि एसआईआर के नाम पर “घुसपैठियों को हटाने” के बहाने असली वोटरों को परेशान किया जा रहा है और यह राज्य में उनके पारंपरिक वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश है। ममता ने केंद्र और चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा शासित राज्यों—जैसे असम—में यह प्रक्रिया लागू नहीं की गई, जबकि बंगाल में इसे दबाव के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग को कई पत्र भेजकर एसआईआर को “अव्यवस्थित, खतरनाक और बिना तैयारी” का अभियान बताते हुए तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
बीएलओ पर बढ़ा दबाव, सुरक्षा नहीं—काम ठप होने की कगार पर
एसआईआर प्रक्रिया में घर-घर जाकर जांच करने वाले बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) सबसे ज़्यादा प्रभावित हो रहे हैं। बीएलओ यूनाइटेड फोरम के अनुसार, प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस से जुड़े अपराधी तत्व बीएलओ को धमका रहे हैं, जिससे वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं। बीएलओ को न सुरक्षा मिल रही है, न आवश्यक प्रशासनिक सहयोग। कई बीएलओ अपने स्कूलों में उपस्थिति तक दर्ज नहीं करा पा रहे हैं, जबकि: काम का अत्यधिक दबाव है, डेटा में त्रुटियां, सर्वर फेलियर और अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकियां उनकी दिक्कतें और बढ़ा रहे हैं।

राजनीतिक मंशा पर सवाल
भाजपा का आरोप है कि ममता सरकार जानबूझकर एसआईआर प्रक्रिया में बाधा डाल रही है ताकि कथित फर्जी वोटरों और घुसपैठियों को सूची में बनाए रखा जा सके। भाजपा नेताओं का कहना है कि बीएलओ को डराकर और प्रशासनिक सहायता रोककर तृणमूल सरकार प्रक्रिया को निष्प्रभावी बनाना चाहती है।
चुनाव आयोग द्वारा अपेक्षित पुलिस सुरक्षा और समर्थन नहीं मिलने से भी बीएलओ की मुश्किलें बढ़ी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एसआईआर पर ममता बनर्जी का तीखा विरोध सीधे तौर पर उनके अल्पसंख्यक वोट बैंक की चिंता से जुड़ा है। पश्चिम बंगाल की मतदाता संरचना में अल्पसंख्यकों की बड़ी हिस्सेदारी है, जो तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक ताकत का महत्वपूर्ण आधार है।
ममता सरकार को आशंका है कि सख्त एसआईआर प्रक्रिया से बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक वोटरों के नाम हट सकते हैं, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।


