3 सितंबर को भक्त करेंगे व्रत, रात्रि में होगा दीपदान और जागरण

कानपुर। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष बुधवार 3 सितंबर को मनाई जा रही है। इसे शास्त्रों में पद्मा और जयंती एकादशी भी कहा गया है। धार्मिक मान्यता है कि यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली होती है।
क्यों कहलाती है परिवर्तिनी एकादशी?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, चातुर्मास में क्षीरसागर में योगनिद्रा में शयन कर रहे भगवान विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं। इसी कारण इसे परिवर्तिनी अथवा पार्श्व एकादशी कहा जाता है।
व्रत कथा : वामन अवतार और राजा बलि
त्रेतायुग में असुरराज बलि ने तप और यज्ञ के बल से इंद्रलोक तक पर अधिकार जमा लिया था। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया और बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। दो पगों में धरती और आकाश नापने के बाद जब तीसरे पग के लिए स्थान नहीं बचा तो बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया। भगवान ने प्रसन्न होकर उसे पाताल लोक का स्वामी बना दिया और वचन दिया कि वे सदैव उसके समीप रहेंगे। इसी घटना की स्मृति में यह एकादशी व्रत किया जाता है।
व्रत विधि
परिवर्तिनी एकादशी का व्रत प्रातःकाल स्नान और संकल्प के साथ शुरू होता है।
भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य और फल अर्पित कर की जाती है।
दिनभर हरिनाम संकीर्तन और भक्ति में समय बिताना चाहिए।
व्रती को एक समय फलाहार करना चाहिए।
रात्रि में जागरण कर दीपदान करने की विशेष परंपरा है।
पंडितों का कहना है कि कमलनयन भगवान को कमल पुष्प अर्पित करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।
व्रत का फल
शास्त्रों में उल्लेख है कि यह व्रत वाजपेय यज्ञ के समान फल देता है। इसे करने से व्यक्ति को यश, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अंत में वह विष्णुधाम को प्राप्त करता है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन वामन भगवान का अवतार हुआ था और उनके पूजन से ब्रह्मा, विष्णु और महेश सहित समस्त देवताओं की पूजा का फल प्राप्त होता है।
कानपुर में तैयारियां
शहर के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। जरीब चौकी स्थित वामन मंदिर, गुमटी स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर और फूलबाग का श्रीविष्णु मंदिर में विशेष पूजन-अर्चना की व्यवस्था की गई है। कई स्थानों पर भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण का आयोजन होगा।
पंडितों का कहना है कि परिवर्तिनी एकादशी व्रत न केवल सांसारिक कष्टों को दूर करता है, बल्कि व्यक्ति को मोक्ष मार्ग की ओर भी ले जाता है।