Tuesday, December 30, 2025
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पारिजात अथवा कल्पवृक्ष : स्वर्ग से पृथ्वी तक का दिव्य उपहार

धर्म अध्यात्म डेस्क/स्वराज इंडिया

धरती पर कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो रहस्य और आस्था दोनों का संगम हैं — पारिजात वृक्ष (Harsingar / Night Jasmine) उनमें से एक है। यह वृक्ष न केवल पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा है, बल्कि अपने अलौकिक गुणों और औषधीय प्रभाव के कारण भी अद्वितीय है।
हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, पारिजात वृक्ष समुद्र मंथन के समय उत्पन्न हुए चौदह रत्नों में से एक था। देवताओं के राजा इंद्र ने इसे अपने नंदन वन में रोपित किया। कहते हैं, इस वृक्ष को छूने का अधिकार केवल अप्सरा उर्वशी को ही था। इसकी सुगंध से थकान मिट जाती थी और मन में नई ऊर्जा का संचार होता था।
पारिजात सिर्फ एक वृक्ष नहीं — यह स्वर्गिक ऊर्जा का धरती पर मूर्त रूप है। इसकी सुगंध आत्मा को शांति देती है, इसकी कथा भक्ति की प्रेरणा देती है, और इसकी औषधि शरीर को बल प्रदान करती है।
सच ही कहा गया है कि “पारिजात केवल फूल नहीं, यह ईश्वर का आशीर्वाद है जो रात में खिलकर सुबह पृथ्वी को पवित्र कर देता है।”

भगवान श्रीकृष्ण और पारिजात की कथा

पारिजात से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा में बताया गया है कि देवर्षि नारद ने इसके फूल श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिए। सत्यभामा ने भगवान से आग्रह किया कि यह वृक्ष स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में लगाया जाए।
जब इंद्र ने पारिजात देने से इंकार किया, तब श्रीकृष्ण ने गरुड़ पर सवार होकर स्वर्ग पर आक्रमण किया और यह दिव्य वृक्ष लेकर आए। उन्होंने इसे सत्यभामा की वाटिका में लगाया, परंतु इसके फूल श्रीकृष्ण की दूसरी पत्नी रुक्मिणी की वाटिका में गिरते थे। यह कथा आज भी प्रेम, भक्ति और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती है।

रात में खिलने वाला स्वर्गिक पुष्प

पारिजात के फूल छोटे, सफेद और केसरिया डंडी वाले होते हैं। ये रात में खिलते हैं और भोर होते ही स्वयं झर जाते हैं, जैसे स्वर्ग से आशीर्वाद बरस रहा हो। कहा जाता है कि वृक्ष से फूल तोड़ना वर्जित है — केवल गिरे हुए फूल ही पूजा और औषधि में प्रयोग किए जाते हैं।
पारिजात को शांति, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह आसपास के वातावरण को सुगंध और सकारात्मकता से भर देता है। साथ ही इसकी पत्तियाँ और फूल अनेक रोगों के उपचार में उपयोगी हैं।

साइटिका का घरेलू उपचार (Harsingar Kadha)

यदि किसी को एक पैर में पंजे से लेकर कमर तक दर्द (साइटिका) होता है, तो हरसिंगार के 10-15 कोमल पत्तों का काढ़ा अत्यंत लाभकारी है।
पत्तों को हल्का कूटकर 2 कप पानी में धीमी आंच पर उबालें।
छानकर गरम-गरम पिएं।
दिन में 2 बार सेवन से दर्द में अद्भुत राहत मिलती है।
सेवन के बाद ठंडा पानी, दही, लस्सी या अचार न लें।

आयु और विशेषताएँ

पारिजात वृक्ष 10 से 15 फीट तक ऊँचा होता है और 1,000 से 5,000 वर्ष तक जीवित रह सकता है। यह वृक्ष कलम विधि से उगाया जा सकता है, और इसके बीज भी बनते हैं। इसे घर या मंदिर के पास लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता फैलाता है।

कल्प वृक्ष की राजकीय पहचान

यह अद्भुत वृक्ष पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। इसके फूल न केवल पूजा में बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी अत्यधिक महत्व रखते हैं।

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