
फिलहाल ओली इस्तीफ़ा देने के बावजूद केयरटेकर प्रधानमंत्री की भूमिका में हैं, लेकिन नई सरकार बनने तक राजनीतिक भविष्य अस्थिर बना रहेगा
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली/काठमांडू।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफ़े के बाद नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता गहराती जा रही है। दो दिनों से जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच राजधानी और अन्य हिस्सों में हालात काबू से बाहर हो गए थे, जिसके बाद अब प्रशासनिक नियंत्रण राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल और नेपाली सेना के हाथों में आ गया है। राष्ट्रपति पौडेल ने साफ़ किया है कि उन्होंने इस्तीफ़ा नहीं दिया है और संवैधानिक प्रक्रिया के तहत नई सरकार बनाने की पहल शुरू कर दी है। उन्होंने देशवासियों और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील भी की। सुरक्षा कारणों से उन्हें अस्थायी रूप से शीतल निवास से हटाया गया था, लेकिन वे लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए हैं।
दूसरी ओर, सेना ने काठमांडू समेत कई अहम ठिकानों—संसद भवन, सचिवालय और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे—पर कड़ा पहरा बिठा दिया है। कर्फ़्यू लागू कर दिया गया है और सैनिक सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। सेना ने चेतावनी दी है कि तोड़फोड़, आगज़नी और हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। फिलहाल ओली इस्तीफ़ा देने के बावजूद केयरटेकर प्रधानमंत्री की भूमिका में हैं, लेकिन नई सरकार बनने तक राजनीतिक भविष्य अस्थिर बना रहेगा। विपक्षी दल और अन्य वरिष्ठ नेता सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं और आंतरिक बैठकों में गठबंधन की संभावनाओं पर मंथन कर रहे हैं। इसी बीच, प्रदर्शनकारियों का रुझान पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशिला कार्की को अंतरिम नेतृत्व सौंपने की ओर बढ़ता दिख रहा है। युवाओं का कहना है कि वे निष्पक्ष और ईमानदार छवि की प्रतीक हैं।

कुल मिलाकर नेपाल इस समय सत्ता के शून्य से गुजर रहा है। राष्ट्रपति और सेना तात्कालिक रूप से प्रशासन संभाल रहे हैं, लेकिन देश की स्थिरता अब इस बात पर टिकी है कि अंतरिम सरकार किसके नेतृत्व में और कब तक बन पाती है।


