Tuesday, December 30, 2025
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मेडिकल कॉलेज मान्यता घोटाला: पूर्व UGC चेयरमैन D.P. सिंह समेत कई बड़े नाम सीबीआई के घेरे में

स्वराज इंडिया : न्यूज ब्यूरो / नई दिल्ली

मेडिकल कॉलेजों को फर्जी मान्यता देने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बड़ा खुलासा करते हुए कई प्रभावशाली व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस गंभीर घोटाले में यूजीसी के पूर्व चेयरमैन डॉ. डी. पी. सिंह, योगी सरकार के पूर्व शिक्षा सलाहकार, और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के मौजूदा चांसलर को भी जांच के दायरे में लिया गया है।
डॉ. डी. पी. सिंह, जो 2018 से 2021 तक यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) के चेयरमैन रह चुके हैं, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति भी रह चुके हैं। वर्तमान में वे देश की प्रतिष्ठित संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के चांसलर हैं।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया है कि यह पूरा मामला एक संगठित आपराधिक साजिश का हिस्सा था, जिसमें गोपनीय सरकारी दस्तावेजों की चोरी, फर्जी फैकल्टी और मरीजों की भर्ती, बायोमेट्रिक हेराफेरी और निरीक्षण में मिलीभगत से लेकर रिश्वतखोरी तक की गतिविधियां शामिल थीं।
सीबीआई के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने निरीक्षण रिपोर्ट और वरिष्ठ अधिकारियों की टिप्पणियां निजी संस्थानों तक पहुंचाईं। इसके बदले मोटी रकम ली गई।
एफआईआर के मुताबिक, 75 लाख रुपये की अवैध राशि राजस्थान में एक हनुमान मंदिर निर्माण में भी इस्तेमाल की गई है।



कौन-कौन है घेरे में:

वीरेंद्र कुमार (गुरुग्राम): MARB के सदस्य जीतू लाल मीना से घनिष्ठ संबंध; हवाला चैनल से रिश्वत वितरण का आरोप।

मनीषा जोशी (द्वारका, दिल्ली): डेटा लीक और सौदेबाजी में संलिप्तता।

सुरेश सिंह भदौरिया (इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, इंदौर): कॉलेज के चेयरमैन के रूप में साजिश में भागीदारी।

मयूर रावल (गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर): गोपनीय जानकारी के प्रसार में भूमिका।


दक्षिण भारत में भी सक्रिय था नेटवर्क



सीबीआई ने दक्षिण भारत में सक्रिय एक अलग रैकेट का भी भंडाफोड़ किया है, जिसका सरगना बी. हरि प्रसाद (कादिरी, आंध्र प्रदेश) बताया जा रहा है। वह अपने साथियों अंकम रामबाबू (हैदराबाद) और कृष्ण किशोर (विशाखापत्तनम) के साथ मिलकर फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति और रिश्वत के माध्यम से मान्यता दिलाने का काम करता था। यह मामला न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे एक संगठित नेटवर्क, सरकारी तंत्र में सेंध लगाकर, देश की भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य और भविष्य से खिलवाड़ कर रहा था। सीबीआई की जांच जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े नाम सामने आने की संभावना है।

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