
स्वराज इंडिया महोबा।
जनपद के गरीब किसान रामेश्वर ने फांसी लगाकर जान दे दी। परिजनों का आरोप है कि वह दो दिन से सहकारी समिति के चक्कर लगा रहे थे लेकिन उन्हें खाद नहीं मिली। मूंगफली की फसल बर्बाद होने की चिंता से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
चित्रकूट में किसान राजेश यादव की 65 वर्षीय पत्नी लीलावती की भी जान खाद की लाइन ने ले ली। शुक्रवार को खाद वितरण केंद्र पर धक्का-मुक्की के दौरान वह गिरकर घायल हो गईं। कूल्हे की हड्डी टूटने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दो दिन बाद उनकी मौत हो गई।

आगरा जिले के नगला परिमाल निवासी 27 वर्षीय किसान जयदेव भी खाद न मिलने से परेशान थे। परिजन बताते हैं कि वह तीन दिन से अकोला सहकारी समिति के चक्कर काट रहे थे। लाइन में खड़े-खड़े उनकी तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाते समय उन्होंने दम तोड़ दिया।
इन घटनाओं के बीच सरकार का दावा है कि प्रदेश में खाद की कहीं कोई कमी नहीं है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और विभागीय अफसर बार-बार यह बयान दे रहे हैं कि “खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और शांतिपूर्ण तरीके से वितरण हो रहा है।
“हालांकि, ज़मीनी हालात इससे अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं। पिछले एक महीने से प्रदेश के कई इलाकों में खाद को लेकर अफरातफरी का माहौल है और अब किसानों की मौतों ने इस संकट को और गंभीर बना दिया है।


