
कथा में दिखा केंद्र–राज्य टकराव, चर्चा में राजनीतिक समानताएँ
स्वराज इंडिया पटना/न्यूज़ डेस्क:
बिहार की राजनीति को हमेशा देश की सबसे दिलचस्प राजनीतिक प्रयोगशाला माना गया है। इसी बीच ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म सोनी लिव पर 7 नवंबर को रिलीज़ हुई वेब सीरीज “महारानी सीजन 4” ने बिहार के चुनावी माहौल में नई चर्चा छेड़ दी है। रिलीज़ की तारीख इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि 6 नवंबर को विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग (121 सीटों पर) रिकॉर्ड 64.66% मतदान के साथ संपन्न हुई और दूसरा चरण 11 नवंबर को होना है।
सीरीज की कहानी बिहार की मुख्यमंत्री रानी भारती (हुमा कुरैशी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो राज्य को विकास की ओर ले जाने की कोशिश करती हैं। कथा में केंद्र में बैठे प्रधानमंत्री सुधाकर श्रीनिवास जोशी (विपिन शर्मा) को एक ताकतवर और रणनीतिक नेता के तौर पर दिखाया गया है, जिनके पास सरकारी एजेंसियों और संसाधनों पर पूरा नियंत्रण है। कहानी में रानी भारती द्वारा केंद्र से विशेष राज्य का दर्जा मांगना और टीवी लाइव पर गठबंधन के प्रस्ताव को ठुकराना एक निर्णायक मोड़ बनता है। इसके बाद केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ते हुए दिखाया गया है, जहाँ विकास फंड रोक देने जैसी घटनाएँ दिखाई गई हैं।

कथानक में कई ऐसे दृश्य हैं, जो दर्शकों को वास्तविक राजनीतिक घटनाओं की याद दिलाते हैं। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स का दावा है कि प्रधानमंत्री का किरदार कुछ हद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक छवि से प्रेरित लगता है। वहीं, कई यूजर्स इसे “मनोरंजन मात्र” बताते हुए राजनीतिक व्याख्या को नकार रहे हैं। सीरीज में गठबंधन, अवसरवाद, परिवारवाद और सत्ता संघर्ष जैसे पहलुओं को प्रमुखता दी गई है। रानी भारती के इस्तीफा देकर अपनी बेटी रोशनी को मुख्यमंत्री बनाने का दृश्य राजनीतिक परिवारवाद की याद दिलाता है। यह फ्रेमिंग सोशल मीडिया पर चर्चा का नया विषय बनी हुई है।
डिज़िटल कंटेंट की बढ़ती पहुंच भी इस बहस को और महत्वपूर्ण बनाती है। आंकड़ों के अनुसार, 2024 तक बिहार में 6.3 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर थे, और ग्रामीण इलाकों में लगभग 72% युवा स्मार्टफोन पर ओटीटी कंटेंट देखते हैं। चुनावी फेज़ में किसी राजनीतिक थीम वाली सीरीज का रिलीज़ होना विश्लेषकों के लिए अध्ययन का विषय बन गया है।
बिहार चुनाव के समय पहले भी कई फिल्में और सीरीज चर्चा में रही हैं। इस बार भी राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या ओटीटी कंटेंट की रिलीज़ टाइमिंग चुनावी हवा को प्रभावित कर सकती है। जबकि प्लेटफॉर्म और क्रिएटर्स इसे कहानी और कला की स्वतंत्रता से जोड़ते हैं।
फिलहाल, “महारानी 4” ने न सिर्फ मनोरंजन के स्तर पर दर्शकों का ध्यान खींचा है, बल्कि केंद्र–राज्य संबंधों, विशेष राज्य के दर्जे और विकास के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि इसका राजनीतिक नैरेटिव पर क्या असर पड़ता है।


