Tuesday, December 30, 2025
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कार्तिक मास में तुलसी पूजन से प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु

तुलसीकाष्ठ माला धारण से मिटते हैं सभी पाप

स्वराज इंडिया धर्म अध्यात्म डेस्क/ कानपुर

सनातन परंपरा में कार्तिक मास को भगवान विष्णु की आराधना का सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस मास में तुलसी पूजन, दीपदान और स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार जो भक्त प्रातःकाल स्नान कर भगवान विष्णु को तुलसीदल अर्पित करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि तुलसी का आधा पत्ता भी यदि श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु को अर्पित किया जाए, तो वे प्रसन्न होकर भक्त को दिव्य आशीर्वाद देते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, तुलसी पूजन के प्रभाव से भक्त विष्णुदास ने विष्णुधाम प्राप्त किया, जबकि राजा चौल पीछे रह गए।कहा गया है कि जिसके घर में तुलसी का पौधा या तुलसीवन होता है, वह स्थान तीर्थ के समान पवित्र माना जाता है। वहाँ यमराज प्रवेश नहीं करते। तुलसीवन पापों का नाश करने वाला, पुण्यदायक और अभीष्ट फल देने वाला कहा गया है। जहाँ तुलसी की छाया पड़ती है, वहीं श्राद्ध करने से पितरों की तृप्ति होती है।— तुलसीकाष्ठ माला का महात्म्यस्कंद पुराण में भगवान विष्णु स्वयं कहते हैं—“जो भक्त तुलसी काष्ठ की माला मुझे अर्पित कर प्रसाद रूप में धारण करता है,उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है। अतः कार्तिक मास में तुलसीकाष्ठ माला धारण करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और आध्यात्मिक उन्नति का संचार होता है।—

कार्तिक मास का आध्यात्मिक महत्त्व

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन पूर्णिमा से लेकर मार्गशीर्ष अमावस्या तक का काल कार्तिक मास कहलाता है। इसे दीप, दान और देव आराधना का महीना कहा गया है।पद्म पुराण में उल्लेख है — “सर्वमासेषु कार्तिको श्रेष्ठः”अर्थात् सभी महीनों में कार्तिक मास सबसे श्रेष्ठ है। इस मास में दीपदान, तुलसी पूजन, गंगा स्नान और दान-पुण्य से मनुष्य को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।—

कार्तिक मास की प्रमुख घटनाएँ

इस पवित्र मास में अनेक पर्व आते हैं —🔹 शरद पूर्णिमा🔹 गोवर्धन पूजा🔹 देवउठनी एकादशी🔹 तुलसी विवाह🔹 त्रिपुरारी (कार्तिक) पूर्णिमाइन पर्वों पर दीपक जलाना, व्रत, दान और पूजा करने से जीवन में समृद्धि और आशीर्वाद का संचार होता है।

पौराणिक कथा

एक बार देवता असुरों के अत्याचार से दुखी होकर भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान ने उन्हें कार्तिक मास में दीपदान, स्नान और भक्ति का आदेश दिया। जब देवताओं ने वैसा किया, तब भगवान विष्णु प्रसन्न होकर उन्हें पुनः सामर्थ्य और विजय प्रदान की। तभी से कार्तिक मास को विजय, आरोग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया। पंडित धर्मेंद्र शुक्ला का कथनधर्मग्रंथ विशेषज्ञ पंडित धर्मेंद्र शुक्ला ने बताया कि “कार्तिक मास में हर व्यक्ति को घर में तुलसी का पौधा लगाकर प्रातः-सायं दीपदान करना चाहिए। इससे जीवन में सद्भाव, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।” पूजा के बाद प्रार्थना करते हुए कहें “हे श्रीहरि विष्णु, हे माँ लक्ष्मी,कार्तिक मास में हमारे घरों में दीप ज्योति सदा जलती रहे,हमारे जीवन से अज्ञान और दुख का अंधकार मिटे।” कार्तिक मास — दीप, दान और धर्म का संगमजहाँ तुलसी पूजी जाती है, वहाँ भगवान विष्णु स्वयं निवास करते हैं।

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