Tuesday, December 30, 2025
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लेह-लद्दाख हिंसा: आंदोलन की आग या संगठित साजिश?

सोनम वांगचुक के भाषण पर विवाद, नेपाल के कई युवकों की भूमिका संदिग्ध

स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
लेह, 25 सितंबर।

लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत विशेष प्रावधान की मांग को लेकर शुरू हुआ शांतिपूर्ण आंदोलन सोमवार को हिंसा में बदल गया। भीड़ ने सरकारी भवनों, पुलिस चौकियों, बीजेपी कार्यालय और वाहनों को निशाना बनाया। चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई दर्जन लोग घायल हुए हैं। प्रशासन ने हालात बिगड़ते देख लेह शहर में कर्फ्यू लागू कर दिया और सीआरपीएफ, आईटीबीपी तथा स्थानीय पुलिस बल की भारी तैनाती कर दी।
चर्चित पर्यावरणविद और शिक्षाविद सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू की थी। वे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे थे। इस दौरान उनके भाषणों में “अरब स्प्रिंग” और नेपाल के “जेन-जेड आंदोलन” का उल्लेख हुआ। प्रशासन और भाजपा के अनुसार, इन्हीं बयानों ने युवा प्रदर्शनकारियों को भड़काया और भीड़ ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। हालांकि वांगचुक ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और रहेगा।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

हिंसा के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर सीधे तौर पर उंगली उठाई। पार्टी ने दावा किया कि स्थानीय कांग्रेस पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग ने हिंसा को दिशा दी। भाजपा ने तस्वीरें और वीडियो जारी कर सबूत पेश करने की कोशिश की। पुलिस ने त्सेपाग के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें आरोपी बनाया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भाजपा अपनी प्रशासनिक विफलताओं और जनता के असंतोष को छुपाने के लिए विपक्ष को निशाना बना रही है।

विदेशी फंडिंग और अन्य जांच होगी

वांगचुक और उनकी संस्था SECMOL की गतिविधियाँ भी जांच के घेरे में हैं। गृह मंत्रालय ने हाल ही में SECMOL का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया और सीबीआई ने कथित विदेशी फंडिंग उल्लंघन की जांच शुरू की है। फरवरी 2025 में वांगचुक की पाकिस्तान यात्रा और वहां दिए गए बयानों को भी संदिग्ध नजरों से देखा जा रहा है। हालांकि, अब तक किसी प्रत्यक्ष विदेशी फंडिंग या दखल की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यह मामला गूंजा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार को चेतावनी दी है कि बल प्रयोग और गोलीबारी केवल “अंतिम उपाय” के रूप में किया जाए। संगठन ने कहा कि भीड़ नियंत्रण में अत्यधिक हिंसा मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आएगी।

नेपाल की तरह हुई हिंसा: क्षेत्र में तनाव और बड़ा सवाल

फिलहाल लेह-लद्दाख में सन्नाटा पसरा है। बाजार बंद हैं और कर्फ्यू की वजह से लोग घरों में कैद हैं। सुरक्षा बल गश्त कर रहे हैं। पूरे इलाके में इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बंद की गई हैं।
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या यह हिंसा अचानक भड़का जनाक्रोश था, या फिर किसी सुनियोजित राजनीतिक-सामरिक साजिश का हिस्सा? सरकार और जांच एजेंसियां हर कोण से जांच कर रही हैं, लेकिन स्थानीय जनता के बीच असुरक्षा और राजनीतिक अविश्वास गहराता जा रहा है।

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