Tuesday, December 30, 2025
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कानपुर देहात: माती महायोजना का सपना चकनाचूर, धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग!

कानपुर देहात जिले का सुनियोजित विकास अधर में, अकबरपुर, माती और आसपास गांवों में कृषि जमीनों का बंटाधार
-केडीए सहित देहात जिले के अफसरों की अनदेखी से योजनाएं नहीं हुई लांच

प्रमुख संवाददाता, स्वराज इंडिया
कानपुर देहात।

कानपुर विकास प्राधिकरण केडीए के अधीन कानपुर देहात जनपद का मुख्यालय माती, अकबरपुर में सुनियोजित विकास का सपना चकनाचूर होता जा रहा है। अब तक माती महायोजना की परिकल्पना अधूरी है। जिला मुख्यालय के आसपास धडल्ले से कृषि एवं अन्य सुरक्षित जमीनों पर प्लाटिंग का अवैध कारोबार दनादन किया जा रहा है। इससे शहरी नगरीय सुविधाओं की बजाय बस्तियां बसती जा रही हैं जो कि शहरी संरचना पर चोट पहुंचा रही है।
करीब 37 साल पहले 25 अप्रैल 1981 को कानपुर महानगर से अलग करके कानपुर देहात जिले का सृजन किया गया। अप्रैल 1994 में माती गांव के पास जिला मुख्यालय बनाने का काम शुरू किया गया। वर्ष जुलाई 2001 में कलेक्ट्रेट सहित अन्य प्रशासनिक भवन बनकर कार्य शुरू किया गया। इसके बाद धीरे धीरे अन्य प्रशासनिक भवन और सिस्टम तैयार गया है लेकिन अबतक शहरी अवस्थपना और विकास के लिए कोई कार्य नहीं किया गया। वर्ष 2013 में जनप्रतिनिधियों की मांग पर तत्कालीन कमिश्नर के निर्देश पर केडीए बोर्ड बैठक में माती के विकास के लिए महायोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए। इसके बाद आवास विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने संयुक्त बैठक करके अकबरपुर नगर पंचायत सहित अकबरपुर तहसील के करीब 156 गांवों को शामिल करते हुए 27 जनवरी 2015 को माती विकास प्राधिकरण गठन  का प्रस्ताव शासन भेजा गया था तब से वो प्रस्ताव शासन में ही पडा रह गया। यूपी में 2017 से अबबतक भाजपा पूरी ताकत के साथ सत्ता में हैं लेकिन विधायक, सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों की खींचतान के चलते माती के विकास को लेकर कोई पहल नहीं हो पा रही है।   इसके चलते माती, अकबरपुर, बारा जोड, रनियां, जैनपुर, नवीपुर सहित अन्य आसपास के हिस्सों में बिना किसी प्लानिंग के खेतों में प्लाटिंग करके बेढंगी बस्तियां बसाई जा रही हैं। इनमें जलनिकासी, पेयजल, पार्क, मार्ग प्रकाश सहित अन्य सुविधाओं का कोई प्रबंधन नहीं है। इससे अकबरपुर और माती का बेढंगा विकास चल रहा है। जिले के अफसर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं, इसका अंजाम जिला भुगत रहा है।  

सरकारी और सुरक्षित जमीनें लुट गईं, सोते रहे जिम्मेदार

जिला मुख्यालय गठन के बाद अकबरपुर और माती के आसपास जमीनों के रेट आसमान छुए तो भूमाफिया सक्रिय हो गए। हालात यह हैं कि पिछले 10 सालों में बंजर, तालाब, चकरोड, खलिहान, कब्रिस्तान, चारागाह सहित अन्य सुरक्षित जमीनों के अभिलेखों में राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से हेरफेर करके कब्जा करके बेंच दिया गया।  तत्कालीन एसडीएम अकबरपुर समीर वर्मा के कार्यकाल में माती रोड, अकबरपुर कस्बे सहित कई जगहों पर सरकारी जमीन चिन्हीकरण करके बोर्ड लगवाए गए थे, कुछ साल बाद यह बोर्ड माफियाओं ने हटाकर जमीनें हथिया ली। इसमें स्थानीय कई जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध है। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि अकबरपुर कस्बे ओर माती मुख्यालय के गांवों की जमीनों का आडिट किया जाए तो सारा खेल खुल जाएगा।

शहजादपुर गांव की सेफ्रान सिटी में जमीन धांधली की आशंका

अकबरपुर तहसील के अंतर्गत शहजादपुर गांव के पास हाइवे के किनारे कई बीघा जमीन घेर कर प्लाटिंग की गई है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि कुछ साल पहले हाइवे सिटी के नाम पर बोर्ड लगाया गया था लेकिन कुछ विवाद होने पर अब सेफ्रान सिटी का बोर्ड लगाकर प्लाट बेंचने का कार्य शुरू किया गया है। इसमें केडीए य अन्य संस्था से कोई ले आउट भी स्वीकृत नहीं किया गया है। इसके अलावा इस प्लाटिंग में जमीन की बडी धांधली छिपी है। इसी लिए भूमाफिया जल्द ही प्लाट बेंचकर भागना चाहते हैं, जिससे जनता की गाढी कमाई हजम कर सकें। अब इसकी जांच की मांग की जा रही है। वहीं, बताया गया है कि इसके आसपास अन्य जगहों पर भी अवैध प्लाटिंग की जा रही है। 

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