Tuesday, December 30, 2025
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नवरात्र में मां दुर्गा और 64 योगिनियों के महापूजन का महत्व

नवरात्र महोत्सव खास

धर्म अध्यात्म डेस्क/ स्वराज इंडिया ।

सनातन धर्म का महान पर्व शारदीय नवरात्र शक्ति की उपासना का काल है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना कर भक्तजन जीवन में शक्ति, समृद्धि, आरोग्य और विजय की कामना करते हैं। मां दुर्गा को महादेव की अर्धांगिनी कहा गया है, किंतु वे स्वयं में पूर्ण शक्ति हैं। उनके अनन्य रूपों में चौसठ योगिनियां (64 Yoginis) भी शामिल हैं, जिन्हें आदि शक्ति का विखंडित रूप माना जाता है।नवरात्र के पावन दिनों में मां दुर्गा की उपासना के साथ योगिनियों का स्मरण भी फलदायी माना गया है। मान्यता है कि साधक यदि चौसठ योगिनियों का ध्यान कर मंत्रजप करता है, तो उसे सांसारिक संकटों से मुक्ति और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।नवरात्र का पर्व केवल उत्सव नहीं बल्कि शक्ति-पूजन का गूढ़ आध्यात्मिक अवसर है। मां दुर्गा और उनकी चौसठ योगिनियों की आराधना से जीवन में साहस, समृद्धि और संतुलन आता है। यही कारण है कि भक्तजन पूरे वर्ष इस पर्व की प्रतीक्षा करते हैं।

चौसठ योगिनियों के नामभक्तिभाव से स्मरण करने योग्य चौसठ योगिनियां हैं—

1. बहुरूपा2. तारा3. नर्मदा4. यमुना5. शांति6. वारुणी7. क्षेमंकरी8. ऐन्द्री9. वाराही10. रणवीरा11. वानरमुखी12. वैष्णवी13. कालरात्रि14. वैद्यरूपा15. चर्चिका16. बेतली17. छिन्नमस्तिका18. वृषवाहन19. ज्वालाकामिनी20. घटवार21. कराकाली22. सरस्वती23. बिरूपा24. कौवेरी25. भलुका26. नारसिंही27. बिरजा28. विकतांगा29. महालक्ष्मी30. कौमारी31. महामाया32. रति33. करकरी34. सर्पश्या35. यक्षिणी36. विनायकी37. विंध्यवासिनी38. वीरकुमारी39. माहेश्वरी40. अंबिका41. कामिनी42. घटाबरी43. स्तुति44. काली45. उमा46. नारायणी47. समुद्र48. ब्रह्मिणी49. ज्वालामुखी50. आग्नेयी51. अदिति52. चंद्रकांति53. वायुवेगा54. चामुंडा55. मूरति56. गंगा57. धूमावती58. गांधार59. सर्वमंगला60. अजिता61. सूर्यपुत्री62. वायुवीणा63. अघोर64. भद्रकाली—

योगिनियों के मंत्रशास्त्रों में प्रत्येक योगिनी के लिए विशिष्ट मंत्र बताए गए हैं, जिनमें ॐ ऐं ह्रीं श्रीं से आरंभ होकर योगिनी का नाम और शक्ति जुड़ती है। उदाहरण—ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा।ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा।ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा।इन मंत्रों का जप साधक को शांति, शक्ति और सिद्धि प्रदान करता है।

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