Tuesday, December 30, 2025
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आईआईटी कानपुर में प्रतिभाओं की मौत का सिलसिला जारी

धीरज – परिवार की उम्मीद, सिस्टम की नाकामी का शिकार

न्यूज़ डेस्क स्वराज इंडिया | कानपुर ब्यूरो

देश के प्रतिष्ठित और विश्व स्तरीय कहे जाने वाले शिक्षा संस्थान आईआईटी कानपुर में एक बार फिर छात्र की आत्महत्या ने व्यवस्था की पोल खोल दी है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी 23 वर्षीय धीरज सैनी, बीटेक फाइनल ईयर का छात्र, बुधवार को हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटका मिला। पुलिस जांच में सामने आया कि शव तीन दिन पुराना था। कमरे से बदबू आने के बाद जब साथियों ने सूचना दी तब दरवाजा तोड़ा गया और हकीकत सामने आई।यह सवाल खड़ा होता है कि देश के “टॉप इंजीनियरिंग संस्थानों” में गिने जाने वाले आईआईटी में एक छात्र का शव तीन दिन तक लटका रहा और न तो सुरक्षा व्यवस्था सतर्क हुई और न ही स्टूडेंट वेलफेयर सेल को इसकी भनक लगी।

काउंसलिंग सिस्टम की नाकामी उजागर

आईआईटी प्रशासन लंबे समय से “सुसाइड प्रिवेंशन” और “स्टूडेंट काउंसलिंग” योजनाओं का ढिंढोरा पीटता रहा है। एनएचआरसी कोर्ट ने हाल ही में संस्थान से छात्रों की आत्महत्याओं पर जवाब भी मांगा था, जिस पर 18 बिंदुओं की रिपोर्ट पेश की गई थी। लेकिन धीरज सैनी की मौत ने साफ कर दिया कि यह व्यवस्थाएं केवल कागजों पर सिमटी हैं।पिछले 22 महीनों में आईआईटी कानपुर में यह सातवीं आत्महत्या है। यह आंकड़ा ही प्रशासनिक लापरवाही और असफल काउंसलिंग सिस्टम का सबूत है।

परिवार का रोना और सिस्टम की खामोशी

धीरज अपने परिवार का सबसे छोटा बेटा था। पिता सतीश हलवाई का काम करते हैं और बेटे से घर की उम्मीदें जुड़ी थीं। पढ़ाई और खेल दोनों में धीरज अच्छा माना जाता था। हाई जंप खिलाड़ी होने के साथ ही उसने रविवार तक दोस्तों से बातचीत भी की थी। लेकिन उसके मन में किस तनाव ने जगह बनाई, यह किसी को समझ नहीं आया।परिवार सवाल कर रहा है कि आखिर प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा तंत्र किस काम का, जब एक छात्र की जिंदगी इस तरह दांव पर लग जाती है।

सवालों के घेरे में आईआईटी प्रशासन

  • तीन दिन तक शव हॉस्टल में लटका रहा, किसी को खबर क्यों न लगी?
  • सुरक्षा और हॉस्टल मॉनिटरिंग सिस्टम पूरी तरह फेल क्यों रहा?
  • 24 घंटे उपलब्ध बताई जाने वाली काउंसलिंग टीम आखिर कहां थी?
  • क्यों आईआईटी में आत्महत्या रोकने के वादे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?
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