
– गुरू जी अब पढ़ाएंगे कि करेंगे ‘टेट’ परीक्षा की तैयारी
– सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने बदल दी बेसिक शिक्षा की तस्वीर
रिज़वान कुरैशी/ स्वराज इंडिया
बिल्हौर (कानपुर)। परिषदीय स्कूलों में वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों के दो वर्षों में टेट परीक्षा पास न कर पाने से जबरन सेवानिवृत्त किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फरमान ने समूचे बेसिक शिक्षा विभाग को सकते में डाल दिया है। अधिकांश टीचरों ने नौकरी बचाने के लिए अपनी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ऐसे में इसका सबसे अधिक खामियाजा स्कूलों में पढ़ाई कर नौनिहालों को भुगतना पड़ेगा। परिवार की जिम्मेदारियों से घिरे अधिकांश शिक्षक ड्यूटी के दौरान स्कूलों में ही अपनी पढ़ाई करेंगे। जिससे स्कूलों में पढ़ाई करने आ रहे बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जिसमें परिषदीय स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए दो वर्ष में टेट पास करने की अनिवार्यता कर दी है। साथ ही कहा है कि टेट परीक्षा पास करने में विफल रहने वाले शिक्षकों को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया जाए। वहीं केवल पांच वर्ष की सेवा अवधि रखने वाले शिक्षकों को इससे छूट दी गई है। यह आदेश आते ही बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप की स्थिति है। वर्षों से स्कूलों में पढ़ा रहे पचास फीसदी से अधिक शिक्षक टेट परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हैं। और विभिन्न सरकारी योजनाओं का पालन कराने में मसगूल अधिकांश शिक्षक इस काबिल भी नहीं बचे हैं कि बिना कोचिंग और तैयारी के वह यह परीक्षा पास कर सकें। बढ़िया वेतनमान पाने अधिकांश शिक्षकों के बच्चे बढ़िया बढ़िया संस्थानों में इसी वेतन के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं। नौकरी चली जाने की स्थिति में परिवार के बिखरने का संकट भी खड़ा हो सकता है। विषम परिस्थितियों से बचने और परिवार की जरूरतों और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए शिक्षक टेट परीक्षा की तैयारी करेगा। और दूर दूर से नौकरी करने स्कूल पहुंचने वाले शिक्षकों के लिए स्कूल में सबसे जरूरी और आसान कार्य खुद की पढ़ाई लगेगा। जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ेगा। फिर वह बच्चे चाहे स्कूल के हों या घर में खुद के बच्चे हों।

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बड़ी संख्या में शिक्षक कर चुके हैं टेट परीक्षा उत्तीर्ण
कानपुर। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद वर्ष 2011 से टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ही शिक्षक बनाए जाने का फरमान जारी हो गया। इसके अलावा और भी कई मामले न्यायालय तक पहुंचे। जिस पर बड़ी संख्या में सेवारत शिक्षकों ने टेट परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। टेट प्रमाण पत्र की वैद्यता पहले तीन वर्ष थी। जिसे बाद में लाइफ टाइम कर दिया गया। ऐसी स्थिति में शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग टेट उत्तीर्ण हो गया। इसके बाद टेट और सुपर टेट परीक्षाएं पास करने के बाद शिक्षकों को तैनाती दी जाने लगी। जिससे शिक्षा विभाग में योग्य शिक्षकों की संख्या बढ़ी। वहीं वर्षों से सरकारी सेवा से संबद्ध शिक्षकों का टेट परीक्षा से जुड़े प्रश्नों से नाता टूट चुका है। ऐसे में यह परीक्षा पास करना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित होगा।
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शिक्षकों के साथ हुई है साजिश- दुष्यंत सिंह
कानपुर। शिक्षामित्र एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष दुष्यंत सिंह का कहना है कि पुरानी पेंशन और आठवां वेतनमान मांग रहे शिक्षकों को शिक्षक दिवस से पहले मिला सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश किसी साजिश का हिस्सा लगता है। इससे समाज में शिक्षक समुदाय के प्रति गलत संदेश जाएगा।