सांसद और पूर्व सांसद के बीच अहं के टकराव का मंच बनी बैठक
पूर्व सांसद ने कहा गुंडा तो सांसद बोले मैं सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर

निर्मल तिवारी स्वराज इंडिया
कानपुर देहात में दिशा की बैठक दिशाहीन होकर अंत में स्थगित हो गई। तीस सेकंड के वायरल वीडियो में नजारा कुछ ऐसा ही दिख रहा है कि यदि कानपुर देहात के डीएम और एसपी बीच में ना होते तो स्थिति गंभीर हो सकती थी। बैठक तो दिशा की थी, जिसमें शहर भर के अफसर और जन प्रतिनिधि एक साथ बैठकर विकास की विभिन्न योजनाओं पर चर्चा करते हैं और सामंजस्य के साथ जिले के विकास का मार्ग प्रशस्त करते हैं। लेकिन जब बैठक ही दिशाहीन हो गई तो सामंजस्य कैसे बनता। शुरुआत तो ठीक ठाक ही हुई थी। सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी को छोटा भाई संबोधित कर न केवल स्वागत किया बल्कि अपने निकट ही कुर्सी डलवा कर बैठाया। लेकिन बैठक जैसे-जैसे आगे बढ़ी वारसी जी की टीका टिप्पणी के चलते भोले की सहृदयता खत्म सी होने लगी और चरमोत्कर्ष तो दुनिया उस तीस सेकंड के वायरल वीडियो में देख ही रही है। सभी लोग देख भी रहे हैं और सुन भी रहे हैं कि सिंह ना होते हुए भी वारसी जी सिंह गर्जना कर रहे हैं और माननीय अपने भोलेपन को छोड़ ललकारते नजर आ रहे हैं। इन दो पाटों के बीच पिस रहे आला अधिकारी सर, प्लीज सर कहते नजर आ रहे हैं। अब इसे राजनीति का तकाजा कहिए या रंग बदलते लोग कहिए पत्रकारों के सामने तमाम आरोप लगाने के बाद भी दोनों का बंधुत्व भाव अभी भी कायम है और दोनों एक दूसरे को भाई ही कह रहे हैं। कनपुरिया पूछ रहे हैं आखिर माजरा क्या है और बैठक में इतनी रायतेबाजी हुई क्यों!
राजनीतिक वर्चस्व की जंग
सांसद देवेंद्र सिंह भोले और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी की राजनीतिक कर्मभूमि एक ही है। एक समय बसपा में रहते हुए वारसी बिल्हौर से सांसद और उनकी पत्नी चौबेपुर से विधायक हुआ करती थीं। पूर्व सांसद के मन में कहीं ना कहीं सांसद बनने की आकांक्षा प्रबल रूप से हिलोरें मार रही हैं लेकिन अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में यह हिलोरें भोले रूपी चट्टान से टकराकर अस्तित्वहीन होती रही हैं। लंबे समय से कानपुर देहात की राजनीति में भोले बनाम वारसी का द्वंद मुखर रूप में सामने नजर आता रहा है। एक नहीं अनेक बार शुक्ला दंपति सांसद भोले को निशाने पर ले चुके हैं। कल की बैठक में दोनों के एक साथ बैठते ही अंतर्द्वंद ने बड़े संघर्ष की संभावना पैदा कर दी।

भोले ने कहा मैं सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर
सांसद भोले समर्थकों को गुंडा कहे जाने से इतना नाराज हुए कि स्वयं को जिले का सबसे बड़ा हिस्ट्रीशीटर बता दिया। लेकिन अगले ही वाक्य में यह भी जोड़ दिया कि जिनके समय में मुकदमें लिखे गए उन्ही के समय में खत्म भी हुए। हालांकि सधे हुए राजनीतिज्ञ की तरह सांसद भोले विवाद के बाद भी पूर्व सांसद को अपना छोटा भाई बताते रहे लेकिन साथ ही कटाक्ष करते हुए कहा उन्हें उपचार की जरूरत है। उन्होंने कहा वारसी कभी थाने में धरने पर बैठ जाते हैं तो कभी कहते हैं मंत्री होते हुए भी कोई फाइल मेरे पास नहीं आती तो कभी कहते हैं वह मुझे सांसद ही नहीं मानते। भोले ने आरोप लगाया कि पूर्व सांसद वारसी विकास दुबे के भाई को अपने साथ लेकर घूमते रहे हैं। इतना ही नहीं सांसद भोले ने पूर्व सांसद पर आरोप लगाया कि वारसी की कंपनी प्रदूषण फैला रही है और साथ ही नाली और चक रोड का अतिक्रमण भी कर रखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व सांसद केवल भ्रष्ट अधिकारियों और व्यापारियों का बचाव करने के लिए बैठक में आए थे।

वारसी का आरोप बैठक में मुद्दा बनाकर बाद में करते हैं वसूली
हंगामा के बाद बैठक से बाहर निकले अनिल शुक्ला वारसी ने सांसद के समर्थकों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा सांसद की कृपा से कुछ लोग दिशा सदस्य बनाए गए हैं जो बैठक में फैक्ट्री वालों को टारगेट करते हैं, अफसरों की बेइज्जती करते हैं। यही गुंडे बाद में जाकर वसूली करते हैं। वारसी ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें जान का खतरा है।


