(सनातन संस्कृति पर आस्था की मिसाल)

गंगा में प्रवाहित हुईं अस्थियां,भारत भ्रमण पर आई महिला की कानपुर देहात में हो गया था आकस्मिक निधन
प्रमुख संवाददाता स्वराज इंडिया
कानपुर । भारत भ्रमण पर आई ब्राजील की महिला पर्यटक की अचानक हुई मृत्यु के बाद सनातन संस्कृति के प्रति आस्था और सम्मान की एक भावुक मिसाल सामने आई है। ब्राजील निवासी महिला सिलीविया रेजीना की अंतिम इच्छा उनकी बेटी ने हजारों किलोमीटर दूर से व्यक्त की, जिसे प्रशासन और स्थानीय लोगों ने पूरी संवेदनशीलता के साथ पूरा किया।
घटना सोमवार की है, जब ब्राजील से भारत घूमने आई सिलीविया रेजीना की तबियत अचानक बिगड़ गई। वह अपने साथियों के साथ टैक्सी से कुल्लू मनाली से पश्चिम बंगाल की ओर जा रही थीं। कानपुर देहात के अकबरपुर क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप पर वाहन रुकने के दौरान उनकी हालत अचानक गंभीर हो गई। उन्हें तत्काल एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
महिला की मृत्यु के बाद उनके साथ मौजूद युवक मार्टिन और रूस की महिला ओल्गा भी गहरे सदमे में आ गए। शव को पोस्टमार्टम गृह में सुरक्षित रखवाया गया और परिजनों से संपर्क किया गया। इसी बीच ब्राजील से मृतका की बेटी नलिनी ने दूतावास के माध्यम से संदेश भेजा कि उनकी मां का अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के अनुसार किया जाए और अस्थियां पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित की जाएं।
बेटी की इस भावनात्मक इच्छा का सम्मान करते हुए प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। नायब तहसीलदार और अकबरपुर क्षेत्र के क्राइम इंस्पेक्टर की मौजूदगी में शव को कानपुर के भैरव घाट ले जाया गया। वहां विद्युत शवदाह गृह में पूरे विधि-विधान के साथ हिंदू रीति से अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के पश्चात मृतका की अस्थियां गंगा नदी में प्रवाहित की गईं, जिन्हें ब्राजील निवासी मार्टिन ने भावुक मन से प्रवाहित किया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की मौत का स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका है। प्रारंभिक तौर पर हार्ट अटैक की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन पुष्टि न होने के कारण विसरा सुरक्षित रखा गया है।यह घटना केवल एक विदेशी पर्यटक की मृत्यु भर नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति की उस व्यापक स्वीकार्यता और मानवीय संवेदना को दर्शाती है, जो देश की सीमाओं से परे जाकर लोगों के हृदय में स्थान बना लेती है। एक विदेशी बेटी द्वारा मां के लिए हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार की इच्छा जताना और उसे भारतीय धरती पर पूरा किया जाना, सनातन संस्कृति के प्रति गहरी आस्था और सम्मान का जीवंत उदाहरण बन गया है।



