
पत्नी ज्योति सिंह के आंसुओं से बढ़ी भाजपा की मुश्किलें, बिहार चुनावी समीकरण पर पड़ सकता है असर
अदालत में चल रहा है मामला, 8 अक्टूबर को अगली सुनवाई
प्रमुख संवाददाता स्वराज इंडिया लखनऊ/पटना।
भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार और हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए अभिनेता पवन सिंह इन दिनों अपने निजी जीवन को लेकर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार मामला केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है। उनकी पत्नी ज्योति सिंह के साथ चल रहा तलाक विवाद अब इस हद तक पहुंच गया है कि इससे भाजपा की बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी असर पड़ सकता है।लखनऊ में बीते दिनों हुआ एक नाटकीय घटनाक्रम इस विवाद को और भड़का गया। ज्योति सिंह खुद सोशल मीडिया पर यह कह चुकी थीं कि वह अपने पति से मिलने लखनऊ जा रही हैं। लेकिन जब वह उनके घर पहुंचीं तो वहां पुलिस पहले से मौजूद थी। न तो उन्हें घर में घुसने दिया गया और न ही पवन सिंह सामने आए।ज्योति सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो लाइव किया, जिसमें वह फूट-फूट कर रोती नजर आईं और कहती रहीं कि “अगर मुझे पुलिस स्टेशन जाना पड़ा तो मैं इसी घर में जान दे दूंगी।”यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और लाखों लोगों ने ज्योति सिंह के समर्थन में कमेंट किए, जिससे मामला राजनीतिक रूप से और गर्मा गया।
खेसारी लाल यादव का बयान बना बड़ा फैक्टर
भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव भी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने कहा कि “अगर भाभी ने कोई बड़ी गलती नहीं की है तो पवन सिंह को उन्हें माफ कर देना चाहिए।”खेसारी का यह बयान सिर्फ व्यक्तिगत भावनाओं से जुड़ा नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक संकेतों से भरा हुआ माना जा रहा है। दोनों कलाकारों के बीच पहले से प्रतिस्पर्धा रही है, लेकिन अब यह टकराव फिल्मी दुनिया से निकलकर सियासत के मैदान में पहुंच चुका है।पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच तलाक का मामला बिहार के आरा की फैमिली कोर्ट में चल रहा है। पवन सिंह की ओर से बयान दर्ज हो चुका है, जबकि ज्योति सिंह की गवाही अभी होनी बाकी है। अगली सुनवाई की तारीख 8 अक्टूबर तय की गई है।

सूत्रों के मुताबिक, ज्योति सिंह ने 5 करोड़ रुपये और एक घर की मांग की है, जबकि पवन सिंह केवल बच्चों की पढ़ाई और खर्च उठाने को तैयार हैं।ज्योति सिंह ने एक बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए कहा है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वह राजनीति में उतरकर अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगी, और आगामी चुनाव में निर्दलीय या किसी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरने से भी नहीं हिचकिचाएंगी।भाजपा के लिए बढ़ी चिंता यह पूरा विवाद भाजपा के लिए नई परेशानी बन गया है। पार्टी पवन सिंह को बिहार में सवर्ण, खासकर ठाकुर समाज का प्रमुख चेहरा बनाकर पेश करने की तैयारी में थी। लेकिन अब उनके खिलाफ उठ रहे सवाल और ज्योति सिंह के प्रति महिलाओं की सहानुभूति लहर भाजपा की चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में महिला वोटर अब निर्णायक भूमिका में हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से महिलाओं को लेकर योजनाएं चला रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 2019 में महिलाओं को भाजपा की साइलेंट स्ट्रेंथ बता चुके हैं। ऐसे में अगर यह विवाद गहराया, तो इसका सीधा नुकसान भाजपा को हो सकता है।पहले भी विवादों में रहे पवन सिंहयह पहली बार नहीं है जब पवन सिंह विवादों में घिरे हों। लखनऊ में एक स्टेज शो के दौरान हरियाणवी डांसर अंजलि राघव के साथ अनुचित व्यवहार को लेकर उन्हें पहले भी आलोचना झेलनी पड़ी थी। अब पत्नी के साथ उनके रवैये ने उनकी महिला विरोधी छवि को और मजबूत कर दिया है।राजनीतिक समीकरण पर पड़ सकता है असर2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पवन सिंह को बंगाल की आसनसोल सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन पुराने गानों को लेकर महिलाओं के अपमान के आरोप उठने के बाद टिकट वापस ले लिया गया था। अब पार्टी उन्हें बिहार के भोजपुर और दक्षिण बिहार क्षेत्र में नया चेहरा बनाने की तैयारी में थी। मगर मौजूदा विवाद ने यह योजना खतरे में डाल दी है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अब भाजपा के पास दो ही विकल्प हैं —
1. या तो वह पवन सिंह को सार्वजनिक रूप से विवाद सुलझाने और माफी मांगने को कहे,
2. या फिर उन्हें बैकफुट पर डालकर नया चेहरा सामने लाए।
महिलाओं में सहानुभूति की लहर
ज्योति सिंह का यह बयान कि “यह सिर्फ मेरा नहीं, हर पत्नी और बहू का अपमान है” सोशल मीडिया से लेकर गांव-गांव तक महिलाओं के दिल को छू रहा है। यही कारण है कि भाजपा के अंदर भी अब इस विवाद को लेकर चिंतन शुरू हो गया है।अगर यह भावनात्मक लहर वोट में तब्दील हुई, तो भाजपा को न केवल पवन सिंह की संभावित सीट पर, बल्कि आसपास के इलाकों में भी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।पवन सिंह और ज्योति सिंह का विवाद अब निजी दायरे से निकलकर राजनीतिक संकट में तब्दील हो चुका है। भाजपा के लिए यह स्थिति असहज है, क्योंकि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और महिला वोटर पार्टी की बड़ी ताकत मानी जाती हैं। यदि यह विवाद जल्द सुलझा नहीं, तो यह भाजपा की पूरी चुनावी रणनीति को झकझोर सकता है।


