अंकित यादव /स्वराज इंडिया: बाराबंकी

इस समय इसराइल और ईरान के बीच चल रही जंग में ईरान की चर्चा दुनियां भर में है। ईरान के सुप्रीम धार्मिक नेता रुहुल्लाह आयतुल्लाह खुमैनी के पूर्वजों का उत्तर प्रदेश की जमी से गहरा नाता रहा है,किन्तुर की धरती से ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता रहे रुहुल्लाह अयातुल्लाह खुमैनी का नाता रहा है। इस गांव के लोग इसराइल के विरोध में हैं और ईरान की जमकर प्रशंसा कर रहे है, हालांकि अयातुल्लाह खुमैनी कभी इस गांव नहीं आए मगर उनके पूर्वजों की पीढ़ियां तमाम दस्तावेजों और यादों को संजोए हुए है। किंतूर से ईरान गए सैयद अहमद मूसवी के पोते रूहुल्लाह खुमैनी के धार्मिक शिष्य ही आज ईरान के सर्वोच्च नेता हैं और इस्राइल से मजबूती से जंग लड़ रहे हैं।
खुमैनी के पूर्वज कि अगर बात करे तो सिरौलीगौसपुर तहसील के किंतूर गांव में सैयद अहमद मूसवी का जन्म हुआ था। पढ़ाई-लिखाई के बाद 1830 में 40 वर्ष की उम्र में अहमद मूसवी अवध के नवाब के साथ धार्मिक यात्रा पर इराक गए। वहां से दोनों ईरान पहुंचे और अहमद मूसवी वहीं के एक गांव खुमैन में बस गए। उनके पूर्वज बताते हुआ कि अहमद मूसवी ने अपने नाम के आगे उपनाम हिंदी जोड़ा ताकि यह अहसास बना रहे कि वह हिंदुस्तान से हैं, उन्हें शेरों शायरी का भी काफी शौख रहा, जिनकी शायरों की चर्चा आज भी होती है, परिवार बताता है कि मूसवी साहब को हिंदी से अत्यधिक लगाव था, जिसके चलते उन्होंने अपने नाम के आगे हिंदी जोड़ा,इसके बाद लोग उन्हें सैयद अहमद मूसवी हिंदी के नाम से जानने लगे। ईरान के पहले सुप्रीम लीडर रुहल्लाह आयतुल्लाह खुमैनी के वंशजों का किंतूर गांव स्थित मकान है, बताते है इसे सैयद वाड़ा के नाम से जाना जाता रहा है, पहले यह बड़ा क्षेत्र हुआ करता था मगर अब सिमट गया है जिसके चलते यह पुष्टि नहीं हो सकती कि खुमैनी के पूर्वज सैयद अहमद मूसवी किस निर्धारित स्थान पर रहते थे। इस गांव में लोग इस्राइल के खिलाफ हैं गांव के लोगों का मानना है कि हमारी सोच अपने देश भारत के साथ है। वर्तमान में चल रहे युद्ध में हम लोग ईरान के साथ हैं। वहां से हमारे पूर्वजों का जुड़ाव जो है। अमेरिका व इसरईल बेगुनाहों का खून बहा रहे हैं। किंतूर गांव में रहने वाले निहाल काज़मी रुहुल्लाह आयतुल्लाह खुमैनी के वंशज बताए जाते हैं। अहमद मूसवी के परिवार में कई विद्वान हुए। उनके पोते रूहुल्लाह का जन्म 1902 में हुआ आगे चलकर यही रूहुल्लाह आयतुल्लाह खुमैनी के नाम से मशहूर हुए।

रूहुल्लाह ने ईरान में पहलवी राज खत्म किया था
पिता की मौत के बाद मां और भाई ने मिलकर उन्हें पाला और पढ़ाया रूहुल्लाह बहुत तेज थे। उन्होंने धर्म की पढाई के साथ-साथ दनिया के बड़े दार्शनिकों की किताबें भी पढ़ीं। उस समय ईरान में पहलवी खानदान का राज था। राजा जनता पर जुल्म करता था और पश्चिमी देशों के इशारे पर चलता था। खुमैनी ने इसका खुलकर विरोध किया। “इसके बाद राजा ने उन्हें देश से निकाल दिया, लेकिन आयतुल्लाह खुमेनी ने अपनी क्रान्ति लगातार जारी रखी और 1979 में ईरान को इस्लामिक गणराज्य बयाया और वहाँ के सुप्रीम लीडर बने ।


