स्वराज इंडिया | जेल में प्रशासन कैसा व्यवहार करता है. सुना है इतनी सुरक्षा के बाद भी वहां मोबाइल इत्यादी उपलब्ध हो जाता है?
जो कुछ देखा, जैसा दिखा किताब में लिख दिया है. प्रशासन दुशासन समान है. जरा सा चूकते ही चीरहरण पर उतारू रहता है. लूट-खसोट करता जेल प्रशासन एक-एक चाय, चड्ढी तक आपको परेशान करता है. घर से भूखे पेट जेल में ड्यूटी करने आते से दिखते हैं. बालों में कलर, कपड़ों में प्रेस सब जेल में होता है जेल प्रशासन का. आप बस पैसा खर्चा करो जेल के भीतर लड़की और दारू छोड़ आपको सबकुछ मुहैया करा दिया जाएगा. यही आपको मोबाइल देंगे और यही कुछ दिन बाद पकड़ा भी देंगे. आपने 20-25 हजार का खरीदा होगा, तो पकड़े जाने के बाद 40-50 हजार रूपया देना होगा. बचने के लिए. नहीं मार-तोड़ डालेंगे. सजा खराब कर देंगे. कुल मिलाकर जेल के भीतर जेल प्रशासन से बड़ा कोई गुंडा-अपराधी नहीं है. या आपके पास फूंकने को नंबर दो का धन है तो ये आपके गुलाम. सारी सुविधा देंगे, जहां आप किसी स्टेट के सीएम सा फील करोगे.
कोई यह किताब लेकर पढ़ना चाहे, तिहाड़ का जीवन जानना चाहे तो कैसे ले सकता है?
हर जगह मिलेगी आपको. ऑनलाइन भी उपलब्ध है. गूगल प्ले स्टोर, अमेजन, फ्लिपकार्ट इत्यादी कई प्लेटफार्म्स पर किताब उपलब्ध है. बस आपको गूगल पर जेल जर्नलिज्म बॉय मनीष दुबे हिंदी या अंग्रेजी में टाइप करना है किताब निकलकर सामने आ जाएगी. जो भी ऑनलाइन स्टोर पसंद आए ली जा सकती है. दोनों ही पार्ट ऑनलाइन उपलब्ध हैं. भारतीय साहित्य संग्रह (Pustak.Org) द्वारा यह किताब प्रकाशित की गई थी.


