Tuesday, December 30, 2025
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फलदार पेड़ों की सेहत का रखवाला ‘चूना’ — आम के तनों पर सफेदी लगाने से मिलते हैं अनगिनत फायदे

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स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
कानपुर।
अक्टूबर का महीना किसानों और बागवानों के लिए बेहद अहम होता है, खासकर उनके लिए जो आम और अन्य फलदार पेड़ों की देखभाल में जुटे रहते हैं। इस मौसम में एक पारंपरिक और बेहद कारगर तकनीक अपनाई जाती है — पेड़ों के तनों पर चूने की सफेदी लगाना। यह पुरानी पद्धति आज भी उतनी ही प्रभावी है, जितनी सदियों पहले थी। वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है कि यह तरीका न सिर्फ पेड़ों को बीमारियों से बचाता है, बल्कि उनकी उत्पादकता को भी बढ़ाता है।
चूना सिर्फ दीवारों के लिए नहीं, बल्कि पेड़ों के लिए भी संजीवनी का काम करता है। यह पारंपरिक तकनीक आज के आधुनिक युग में भी उतनी ही आवश्यक है। यदि किसान इसे अपनाएँ, तो आम सहित सभी फलदार वृक्षों को बीमारियों से बचाकर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।


सफेदी लगाने के प्रमुख फायदे

  1. कीटों से सुरक्षा:
    पेड़ों की छाल पर दीमक, छाल खाने वाले कीट और अन्य हानिकारक जीव हमला करते हैं। चूने का लेप इन कीटों से तने को सुरक्षा कवच प्रदान करता है, जिससे पेड़ की उम्र और स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है।
  2. फफूंदी और रोगों से बचाव:
    चूना क्षारीय (Alkaline) प्रकृति का होता है। यह वातावरण में मौजूद फफूंद और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों के विकास को रोकता है, जिससे पेड़ फंगल इंफेक्शन से सुरक्षित रहता है।
  3. तने का तापमान नियंत्रण:
    सफेद रंग सूर्य की किरणों को परावर्तित करता है। इससे पेड़ के तने का तापमान संतुलित रहता है और अधिक गर्मी या सर्दी के कारण होने वाले नुकसान से बचाव होता है।
  4. दरारों की सुरक्षा:
    पुराने पेड़ों की छाल में अक्सर दरारें आ जाती हैं, जिनमें कीट और रोगजनक बैक्टीरिया पनप सकते हैं। सफेदी का लेप इन दरारों को ढककर संक्रमण से बचाता है।
  5. पौष्टिकता और मजबूती:
    सफेदी में मौजूद कैल्शियम और तूतिया (कॉपर सल्फेट) पेड़ को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिससे उसका विकास स्वस्थ रूप से होता है और अधिक फूल एवं फल लगते हैं।
  6. नमी बनाए रखने में मदद:
    यह लेप तने की नमी को संरक्षित रखता है, जिससे पेड़ शुष्क और गर्म मौसम में भी तरोताजा बना रहता है।

सफेदी लगाने की विधि

सामग्री:

1 किलो बुझा हुआ चूना

200 ग्राम तूतिया (कॉपर सल्फेट)

10 लीटर पानी

विधि:

  1. सभी सामग्रियों को मिलाकर एक समान घोल तैयार करें।
  2. ब्रश की मदद से पेड़ के तने पर नीचे से ऊपर तक (4-5 फीट तक) सफेदी लगाएँ।
  3. यह प्रक्रिया सुबह या शाम के समय करें, जब तेज धूप न हो।

सही समय कब है सफेदी लगाने का?

सफेदी लगाने का सबसे उपयुक्त समय फरवरी-मार्च और अक्टूबर-नवंबर का होता है। इस समय पेड़ों की वृद्धि धीमी होती है और वे कीट एवं रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील रहते हैं।


विशेषज्ञों की सलाह

बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान नियमित अंतराल पर सफेदी लगाते हैं, तो पेड़ सालभर स्वस्थ रहते हैं और उनकी पैदावार में 20–25% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें किसी तरह के हानिकारक रसायन नहीं होते।

घोल तैयार करने के बाद तुरंत उपयोग करें।

पेड़ की स्थिति का समय-समय पर निरीक्षण करें।

यदि तना अधिक गीला या फटा हुआ है तो पहले उसे सुखाकर ही सफेदी लगाएँ।

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