वह करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। समर्थक उन्हें “नए भारत के निर्माता” मानते हैं, जबकि आलोचक उन्हें “केंद्रीकृत सत्ता का चेहरा” कहते हैं।

मुख्य संवाददाता स्वराज इंडिया। नई दिल्ली।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी आज 75 वर्ष के हो गए। यह अवसर केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति और वैश्विक परिदृश्य में हुए बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है। साधारण परिवार से निकलकर विश्व मंच पर सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार होने तक मोदी की यात्रा अभूतपूर्व मानी जाती है।
17 सितम्बर 1950 को गुजरात के वडनगर में जन्मे मोदी का जीवन संघर्ष और आत्मविश्वास का उदाहरण रहा। बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी ने किशोरावस्था में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर राष्ट्रभक्ति और अनुशासन के संस्कार पाए। यही संस्कार आगे चलकर उन्हें राजनीति के शिखर तक ले गए।

2001 में गुजरात की सत्ता संभालने के बाद मोदी ने विकास और उद्योगोन्मुख नीतियों से पहचान बनाई। हालांकि 2002 के दंगे उनके राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा विवाद बने, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पार्टी और जनता के बीच अपनी पकड़ और मजबूत की।
2014 में नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक बहुमत दिलाया और देश के प्रधानमंत्री बने। इसके बाद से अब तक उन्होंने राजनीति की दिशा और स्वरूप को बदल डाला। ‘जनधन योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’, ‘आयुष्मान भारत’, ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों ने उन्हें गरीबों और मध्यम वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाया। विदेश नीति में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर नया आयाम दिया।
मोदी के कार्यकाल में कई बड़े और विवादास्पद फैसले भी सामने आए — नोटबंदी, कृषि कानून, नागरिकता संशोधन कानून और अनुच्छेद 370 हटाने जैसे कदमों ने उन्हें राजनीतिक बहसों के केंद्र में रखा। आलोचनाओं के बावजूद उनकी जनस्वीकृति बनी रही।

आज मोदी न केवल भारत के बल्कि दुनिया के सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली प्रधानमंत्रियों में गिने जाते हैं। वैश्विक मंचों पर उनकी उपस्थिति, राष्ट्रवाद से जुड़े उनके संदेश और ‘विकास एवं आत्मनिर्भर भारत’ का उनका दृष्टिकोण उन्हें अलग पहचान दिलाता है।
पचहत्तर वर्ष की उम्र में भी नरेंद्र मोदी जिस तरह से सक्रिय, ऊर्जावान और संवादशील बने हुए हैं, वह करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। समर्थक उन्हें “नए भारत के निर्माता” मानते हैं, जबकि आलोचक उन्हें “केंद्रीकृत सत्ता का चेहरा” कहते हैं। लेकिन यह निर्विवाद है कि मोदी ने भारतीय राजनीति की धारा को नई दिशा दी है और उनका प्रभाव आने वाले वर्षों तक महसूस किया जाता रहेगा।



