
लोगों ने कहा कि ये भारत के शहीदों की कुर्बानी बनाम क्रिकेट का तमाशा है
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली।
14 सितंबर को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में एशिया कप 2025 का भारत-पाकिस्तान मुकाबला होना है। लेकिन यह मैच महज़ एक खेल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और शहीदों की कुर्बानी के सम्मान का प्रश्न बन गया है।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला अभी भी देश की स्मृति में ताज़ा है। निर्दोष पर्यटकों, बच्चों और महिलाओं को गोलियों से भून देने वाली इस वारदात ने पूरे राष्ट्र को झकझोर दिया। इसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई “ऑपरेशन सिंदूर” ने पाकिस्तान को गहरी चोट दी, लेकिन साथ ही देश ने अपने 20 जवान खोए। इन बलिदानों की टीस आज भी हर भारतीय के दिल में है।
इसी पृष्ठभूमि में जब भारत-पाकिस्तान मैच का ऐलान हुआ, तो देशभर में विरोध की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर #BoycottPakCricket और #PahalgamAttack जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। क्रिकेट को शहीदों की कुर्बानी से ऊपर रखने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। टिकट इस बार आधे भी नहीं बिके हैं, जबकि आमतौर पर भारत-पाक मुकाबले के टिकट कुछ घंटों में खत्म हो जाते हैं। जनता साफ संदेश दे रही है कि “जब खून सूखा नहीं, तो खेल कैसे हो सकता है?” वहीं, शिवसेना से लेकर समाजवादी पार्टी तक, बीजेपी से लेकर लेफ्ट तक, लगभग हर राजनीतिक धड़ा पाकिस्तान से क्रिकेट का विरोध कर रहा है। पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने भी कहा कि जब तक रिश्ते सामान्य न हों, क्रिकेट नहीं होना चाहिए। शहीद परिवारों की पीड़ा और आक्रोश ने इस बहस को और गहरा दिया है।

सरकार और बीसीसीआई की दुविधा समझिए
खेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि द्विपक्षीय सीरीज नहीं होगी, लेकिन बहुपक्षीय टूर्नामेंट्स में भारत हिस्सा लेगा। बीसीसीआई कहता है कि एशियन क्रिकेट काउंसिल के दबाव में टीम को भेजना पड़ा। सवाल उठ रहा है कि जब सिंधु जल संधि तक स्थगित की जा सकती है, तो क्रिकेट को अपवाद क्यों बनाया जा रहा है?
विश्लेषक मानते हैं कि यह मैच भारत को अरबों का राजस्व, करोड़ों दर्शक और अंतरराष्ट्रीय मंच पर सॉफ्ट पावर देता है। लेकिन दूसरी तरफ तर्क है कि यदि अमेरिका-रूस जैसे देश ओलंपिक का बहिष्कार कर सकते हैं, तो भारत भी राष्ट्रीय सम्मान को प्राथमिकता दे सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” अब सवाल है — क्या खून और क्रिकेट साथ बह सकते हैं?

14 सितंबर को जब टीम इंडिया मैदान पर उतरेगी, तो स्कोरबोर्ड पर सिर्फ रन और विकेट नहीं, बल्कि एक गहरी नैतिक कसौटी भी दर्ज होगी। यह मुकाबला महज़ बैट और बॉल का नहीं, बल्कि इस सवाल का है कि क्या भारत अपने शहीदों की कुर्बानी को पैसे और मनोरंजन से ऊपर रखेगा।
यह मैच इतिहास में सिर्फ भारत-पाक क्रिकेट नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद और कूटनीति की टकराहट का प्रतीक बनकर दर्ज होगा।



