
स्वराज इंडिया न्यूज ब्यूरो लखनऊ। यूपी और देशभर में गाली-गलौज किस कदर आम हो चुकी है, इसका खुलासा हाल ही में हुए एक हैरतअंगेज सर्वे में हुआ है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. सुनील जगलान के नेतृत्व में हुए इस सर्वे ने चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं।
सर्वे के अनुसार, देशभर में सबसे ज्यादा गाली-गलौज करने वालों की लिस्ट में दिल्ली पहले नंबर पर है। वहीं, यूपी का कानपुर सबसे ऊपर है। टॉप 10 में लखनऊ और प्रयागराज भी शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि कक्षा चौथी तक के बच्चे भी गालियों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
सोशल मीडिया और ओटीटी जिम्मेदार
सर्वे में शामिल 54% युवाओं (लड़के-लड़कियां दोनों) ने माना कि उन्होंने गालियां ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, सोशल मीडिया और फिल्मों से सीखी हैं।
वहीं, 62% प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें बिना महिला पर जोक्स या बिना गाली वाले मजाक पर हंसी नहीं आती।
स्कूल-कॉलेजों में बढ़ा चलन
गाली अब केवल “लड़कों की आदत” नहीं रह गई है। सर्वे बताता है कि लड़कियां भी बराबरी से गालियों का इस्तेमाल कर रही हैं। स्कूल और कॉलेजों में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर चिंता का विषय बन गया है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली जानकारी यह रही कि चौथी क्लास तक के बच्चे गालियां देने लगे हैं। यानी, मासूम उम्र में ही बच्चे फिल्मों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से प्रभावित होकर इस आदत को अपनाने लगे हैं।
समाज के लिए बड़ी चेतावनी भी है
डॉ. सुनील जगलान का कहना है कि गालियों का यह कल्चर समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक संकेत है। भाषा में गालियों की बढ़ती मौजूदगी से न केवल पारिवारिक वातावरण प्रभावित हो रहा है, बल्कि बच्चों की मानसिकता पर भी गहरा असर पड़ रहा है। नतीजा साफ है: गाली आज मजाक और बातचीत का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन यह “हंसी-मजाक” कहीं भविष्य के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर न कर दे।



